बंजारा कविता, तारो इतिहास…
बंजारा कविता, तारो इतिहास...
तारो इतिहास....
बंजारा....
तार इतिहास घणो जुनो छ
पण तू लको कोनी,
इज तार गूनो छ....
तू धाटो प्रांत अप्रांत
पेट भरेकरता
तारे कष्टेमज बहूत लोक जगरे छ....
इ तोन कतेई कळो कोनी
कारण तू ज्ञानमार्ग लिदो कोनी...
आज बी तारे कष्टेन देकन
आंत मारो बळ छ..
बंजारा....
तार इतिहास घणो जुनो छ
पण तू लको कोनी,
इज तार गूनो छ....
✍ रामकृष्ण राठोड

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